पार्श्वनाथ चालीसा

भगवान पार्श्वनाथ चालीसा, जैन चालीसा , पर्श्वनाथ चालीसा,जाईन माहिती मराठी,जैन धर्म चालीसा, जैन धर्म माहिती मराठी




शीश नवा अरिहंत कोसिद्धन करुं प्रणाम |उपाध्याय आचार्य का लेसुखकारी.. नाम |सर्व साधु और सरस्वतीजिन मन्दिर सुखकार अहिच्छत्र  और पार्श्व कोमन मन्दिर में धार...
|| चौपाई     |. 

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👍👍पार्श्वनाथ जगत हितकारीहो स्वामी तुम व्रत के धारी सुर नर असुर करें तुम सेवातुम ही सब देवन के देवा |तुमसे करम शत्रु भी हारा,    तु कीना जग का निस्तारा |अश्वसैन के राजदुलारेवामा की आँखो के तारे |काशी जी के स्वामी कहायेसारी परजा मौज उड़ाये |इक दिन सब 👍👍मित्रों को लेकेसैर करन को वन में पहुँचे |हाथी पर कसकर अम्बारीइक जगंल में गई सवारी |एक तपस्वी देख वहां परउससे बोले वचन सुनाकर |तपसी! तुम क्यों पाप कमातेइस लक्कड़ में जीव जलाते |तपसी तभी कुदाल उठायाउस लक्कड़ को चीर गिराया |निकले नाग-नागनी कारेमरने के थे निकट बिचारे |रहम प्रभू के दिल में आयातभी मन्त्र नवकार सुनाया |भर कर वो पाताल सिधायेपद्मावति धरणेन्द्र कहाये |तपसी मर कर देव कहायानाम कमठ ग्रन्थों में गाया |एक समय श्रीपारस स्वामीराज छोड़ कर वन की ठानी |तप करते थे 👍👍ध्यान लगायेइकदिन कमठ वहां पर आये |फौरन ही प्रभु को पहिचानाबदला लेना दिल में ठाना |बहुत अधिक बारिश बरसाईबादल गरजे बिजली गिराई |बहुत अधिक पत्थर बरसायेस्वामी तन को नहीं हिलाये |पद्मावती धरणेन्द्र भी आएप्रभु की सेवा मे चित लाए |धरणेन्द्र ने फन फैलायाप्रभु के सिर पर छत्र बनाया |पद्मावति ने फन फैलायाउस पर स्वामी को बैठाया |कर्मनाश प्रभु ज्ञान उपायासमोशरण देवेन्द्र रचाया |यही जगह अहिच्छत्र कहायेपात्र केशरी जहां पर आये |शिष्य पाँच सौ संग विद्वानाजिनको जाने सकल जहाना |पार्श्वनाथ का दर्शन पाया सबने जैन धरम अपनाया |अहिच्छत्र श्री सुन्दर नगरीजहाँ सुखी थी परजा सगरी |राजा श्री वसुपाल कहायेवो इक जिन मन्दिर बनवाये |प्रतिमा पर पालिश करवायाफौरन इक मिस्त्री बुलवाया |वह मिस्तरी मांस था खाताइससे पालिश था गिर जाता |मुनि ने उसे उपाय बतायापारस दर्शन व्रत दिलवाया |मिस्त्री ने व्रत पालन कीनाफौरन ही रंग चढ़ा नवीना |गदर सतावन का किस्सा हैइक माली का यों लिक्खा है |वह माली प्रतिमा को लेकरझट छुप गया कुए के अन्दर |उस पानी का अतिशय भारीदूर होय सारी बीमारी |जो अहिच्छत्र ह्रदय से ध्वावेसो नर उत्तम पदवी वावे |पुत्र संपदा की बढ़ती होपापों की इक दम घटती हो |है तहसील आंवला भारीस्टेशन पर मिले सवारी |रामनगर इक ग्राम बराबरजिसको जाने सब नारी नर |चालीसे को चन्द्र’ बनायेहाथ जोड़कर शीश नवाय



पोस्ट करणारे :- विशाल सिंगरे(जैन) जामखेड, जालना

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